The Taj Mahal is an ivory-white marble mausoleum on the south bank of the Yamuna river in the Indian city of Agra. It was commissioned in 1632 by the Mughal emperor, Shah Jahan, to house the tomb of his favorite wife, Mumtaz Mahal. The tomb is the centrepiece of a 42-acre complex, which includes a mosque and a guest house, and is set in formal gardens bounded on three sides by a crenellated wall. The Taj Mahal was designated as a UNESCO World Heritage Site in 1983 for being the jewel of Muslim art in India and one of the universally admired masterpieces of the world's heritage.
] ताजमहल भारतीय शहर आगरा में यमुना नदी के दक्षिण तट पर एक हाथीदांत सफेद संगमरमर का मकबरा है। मुग़ल सम्राट, शाहजहां ने 1632 में अपनी पसंदीदा पत्नी मुमताज महल की कब्र पर बैठने की शुरुआत की थी। कब्र 42-एकड़ परिसर का केंद्रस्थ है, जिसमें मस्जिद और एक गेस्ट हाउस शामिल है, और एक कारागार वाली दीवार द्वारा तीन तरफ बाध्य औपचारिक बागों में सेट किया गया है। 1 9 83 में ताजमहल को भारत में मुस्लिम कला के गहने के लिए यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था और दुनिया की विरासत के विश्व स्तर की प्रशंसनीय कृतियों में से एक
प्यार की मिसाल माना जाने वाला दुनिया का यह अजूबा, भारत का गर्व है। इस अद्भुत स्मारक को सफ़ेद संगमरमर से शाहजहाँ द्वारा उसकी बेगम मुमताज़ की याद में बनवाया गया था। दुनिया का हर एक इंसान आज ताजमहल देखने की चाह रखता है क्योकि इसे मोहब्बत का मंदिर कहा जाता है। यमुना नदी के किनारे पर स्थित यह ईमारत एकविस्मरणीय स्थल है।
1631 में, शाहजहाँ के साम्राज्य ने हर जगह अपना जीत का परचम लहराया था। उस समय Shahjahan की सभी बेगम में उनकी सबसे प्रिय बेगम मुमताज़ महल थी। लेकिन पर्शियन बेगम मुमताज़ महल की मृत्यु अपने चौदहवे बच्चे को जन्म देते समय हो गयी, उनके चौदहवे बच्चे का नाम गौहर बेगम था। Taj Mahal का निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहाँ (शासनकाल 1628 से 1658) ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में करवाया था, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ। शाहजहाँ चाहते थे की दुनिया मुमताज़ और उनकी प्रेम कहानी को हमेशा याद रखे, इसीलिए उनकी याद में वे कुछ इतिहासिक धरोहर बनाना चाहते थे। जिसमे ताजमहल का निर्माण हुआ।
ताजमहल भारत के आगरा शहर में यमुना नदी के तट पट स्थित एव विश्व धरोहर मकबरा है। ताजमहल में मकबरे और महेमानघर का भी समावेश है और साथ ही इसके दोनों और गार्डन्स भी है।
ताजमहल का निर्माण लगभग 1643 में ही ख़त्म हो गया था लेकिन फिर भी उसकी सुंदरता को बढ़ाने के लिये और 10 सालो तक काम किया गया। ताजमहल का निर्माण तक़रीबन 1653 में पूरा हो गया था और उस समय उसे बनाने में लगभग 32 मिलियन रुपयों का खर्चा लगा था, ताजमहल का निर्माण जानकारी के अनुसार 25000+ कारीगरों ने किया था। उस्ताद अहमद लाहौरी को प्रायः इसका प्रधान रूपांकनकर्ता माना जाता है।
सन 1983 में ताजमहल, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बना। इसके साथ ही इसे विश्व धरोहर के सर्वत्र प्रशंसा पाने वाली, अत्युत्तम मानवी कृतियों में से एक बताया गया। ताजमहल को भारत की इस्लामी कला का रत्न भी घोषित किया गया। रबिन्द्रनाथ टैगोर ने अपने लेख, “दी टियर-ड्राप ऑन दी चीक ऑफ़ टाइम” में उस समय मुग़ल कालीन बहोत सी वस्तुकलाओ का वर्णन किया था, और भारतीय इतिहास की महान कृतियों को दुनिया के सामने रखा था। हर साल ताजमहल को लगभग 9 से 10 मिलियन लोग देखने आते है। 2007 में, ताजमहल को दुनिया के 7 आश्चर्य की सूचि में भी शामिल किया गया था।
वास्तुकला और बनावट :
ताजमहल का निर्माण पर्शियन और प्राचीन मुग़ल परम्पराओ को ध्यान में रखते हुए किया गया। जिसमे अधिकतर प्रेरणा उन्हें मुघलाकालिन दूसरी इमारते जैसे गुर-इ-अमीर, हुमायूँ का मकबरा, इत्माद-उद-दूलह मकबरा और जामा मस्जिद से मिली। प्राचीन मुग़ल काल में प्रायः इमारतो का निर्माण लाल बलुआ पत्थरो से किया जाता था लेकिन शाहजहाँ ने ताजमहल का निर्माण सफ़ेद मार्बल से करने की ठानी। इस से ताजमहल की सुंदरता को चार चाँद लग गये।
बेगम मुमताज़ महल कब्र–
ताजमहल के मध्य में मुमताज़ महल कब्र को रखा गया है। बेगम मुमताज़ महल कब्र कभी बड़ी और सफ़ेद मार्बल से बनी हुई, उनकी कब्र को काफी अलंकृत किया गया है। मुस्लिम परंपरा के अनुसार कब्र की विस्तृत सज्जा मन है। इसलिए शाहजहाँ एवं मुमताज़ के पार्थिव शरीर इसके निचे तुलनात्मक रूप से साधारण, असली कब्रों में दफ्न है, जिनके मुख दाये एवं मक्का की तरफ है। मुमताज़ महल की कब्र आतंरिक कक्ष में स्थित है। उनकी कब्र का आधार लगभग 55 मीटर का बना है। उनकी कब्र का आधार एवं ऊपर का श्रुंगारदान रूप, दोनों ही बहुमूल्य पत्थरो एवं रत्नों से जड़े है। इस पर किया गया सुलेखन मुमताज़ की पहचान एवं प्रशंसा है। शाहजहाँ की कब्र मुमताज़ की कब्र के दक्षिण की तरफ है।
ताजमहल के पीछे एक बहुचर्चित कथा भी है, जिसके अनुसार मानसून की पहली वर्षा में पानी की बुँदे इनकी कब्र पर गिरती है। जैसा की रबिन्द्रनाथ टैगोर के इस मकबरे के वर्णन से प्रेरित है, “एक अश्रु मोती…समय के गाल पर”। ऐसी बहोत सी कथाये ताजमहल को लेकर इतिहास में प्रचलित है।
यमुना नदी के किनारे सफ़ेद पत्थरो से निर्मित अलौकिक सुंदरता की तस्वीर “ताजमहल” न केवल भारत में, बल्कि पुरे विश्व में अपनी पहचान बना चूका है। प्यार किस इस निशानी को देखने के लिये दूर देशो से हजारो लोग यहाँ आते है। दुधिया चांदनी में नाहा रहे ताजमहल की खूबसूरती को निहारने के बाद आप कितनी भी उपमाये दे, वह सारी फीकी लगती है।
ऐसा कहा जाता है जिन कारीगरों ने ताजमहल का निर्माण किया था, शाहजहाँ ने निर्माण होने के बाद उन कारीगरों के हात कटवा दिए थे। इस प्रकार के कई दावे ताजमहल को लेकर इतिहास में किये जाते है। इस ईमारत का निर्माण सदा से प्रशंसा एवं गर्व का विषय रहा है। इसने धर्म, संस्कृति एवं भूगोल की सीमाओ को पार करके लोगो के दिलो से व्यक्तिगत एवं भावनात्मक प्रतिक्रिया कराइ है। आज भी लोग लोग ताज महल को शाहजहाँ और मुमताज़ के मोहब्बत की निशानी मानते है। आज विश्व के सबसे सुन्दर भवनों में से एक ताजमहल है।
आगरा का ताजमहल भारत की शान और प्रेम का प्रतिक माना जाता है।
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